Monday, 7 July 2014

दूल्हे की उठी डोली, विदा होकर गया ससुराल

हमारी परंपरा रही है कि बेटियों को ही अपने माता-पिता और घर-बार को छोड़कर शादी के बाद ससुराल में बसना पड़ता है और पति के परिजनों में ही प्यार टटोलना पड़ता है, लेकिन अब सिरसा (हरियाणा) स्थित डेरा सच्चा सौदा ने एक अनोखी मुहिम शुरू की है, जिसमें बेटों को ससुराल में जाकर रहना पड़ेगा। दूल्हे को लड़की के माता-पिता को ही अपने माता-पिता मानकर उनकी सेवा करनी होगी।
भू्रणहत्या रोकने व बेटियाें को बेटाें के समान समाज में अधिकार दिलवाने के उद्देश्य से डेरा सच्चा सौदा द्वारा 73वें मानवता भलाई कार्य के रूप में 'कुल का क्रॉउन' मुहिम चलाई गई है। इसके तहत शनिवार को बारात लेकर पहुंचने वाली सिरसा निवासी तुलसी इन्सां रविवार को अपने दूल्हे पवन इन्सां के साथ अपने मायके में पहुंची। नवविवाहित युवक व युवती के परिवारजनाें व रिश्तेदारों के साथ-साथ कॉलोनीवासियाें ने भी उनका जोरदार स्वागत किया। परिवार के सदस्याें ने दूल्हे का परंपरागत रीति -रिवाज से गृह प्रवेश कराया।
इसी तरह पानीपत की सुरुचि भी डेरा सच्चा की मुहिम के तहत दूल्हे को सिरसा से ब्याह कर पानीपत लाई। श्री प्रेम मंदिर के पास रहने वाली सुरुचि अपने माता-पिता की इकलौती संतान हैं और बीकॉम द्वितीय वर्ष में पढ़ती है। शनिवार को सुरुचि बरात लेकर गई और डेरा सच्चा सौदा में सिरसा के निजीया खेड़ा निवासी राजबीर से शादी रचाई। परंपरा के अनुसार, दुल्हन पहले जयमाला डालती है, लेकिन राजबीर ने पहले दुल्हन को जयमाला डाली। सुरुचि का मां सुनीता का कहना है कि वह राजबीर को अपने बेटे की तरह रखेंगी।

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